उदयपुर(भूपेंद्र जोशी)।मेवाड़ के आदरणीय जमाई, मुंबई के कर्मप्रधान संगीत के वादक साधक सेवक एवं संपूर्ण संगीत जगत की जानी-मानी शख्सियत, अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त, स्टार सेलेब्रेटी तबला कलाकार, पंडित भानुप्रकाश बारोटजी को, महाराष्ट्र के पुणे शहर के एक प्रतिष्ठित संगीत संस्थान आर्टबिटस् फाऊंडेशन की ओर से दिनांक 02.02.2024 "महाराष्ट्र कला सम्मान" पुरस्कार से नवाजा गया है।संगीत क्षेत्र में आपके उत्कृष्ट एवं अभूतपूर्व योगदान के लिए पंडितजी को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है... वैसे तो आपको कई एवाॅर्ड उपलब्धियांँ मिल चुके हैं, जिसमें यह प्रतिष्ठित एवाॅर्ड भी शुमार हो चुका है, जोकि हम सभी संगीत प्रेमियों के लिए खासकर मालवा, मेवाड़, मुंबई प्रांत राज्य के लिए बहुत ही गर्व की बात है।आपने अपने वादन से और व्यवहार कुशलता के माध्यम से सबका दिल जीता है... कई बडें दिग्गज नगर-रत्न, राज्य-रत्न, पद्मश्री, पद्मभूषण, पद्म विभूषण कलाकारों के साथ आपने तबला वादन करके श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया है और अभी भी यात्रा जारी है।
पंडित भानुप्रकाश बारोटजी का पुरा परिवार संगीत जगत में एक बड़ा ही आदरणीय एवं उच्चस्तरीय स्थान रखता है... शास्त्रीय संगीत हो अथवा फिल्म जगत हो, सब में आपके परिवार की जबरदस्त पकड़ रही है... किंतु यह परिवार हमेशा सादगी से भरपूर रहा है और ना कभी स्वयं ने और ना कभी परिवार के किसी सदस्यों ने, संगीत जगत को बहुत कुछ देने के बावजूद भी, कोई घमंड दिखाया, ना रखा... हमेशा से ही बारोट परिवार के सभी दिग्गज कलाकारों ने बहुत मिलनसारी का एवं सादगी का परिचय दिया है।
*मुंबई में जन्में, पले, बढे़, पंडित भानुप्रकाश बारोटजी की पृष्टभूमि का वृतांत अखबार संक्षेप में बता रहा है...*
*मालवा का प्यारा बेटा : पंडितजी का पुरा परिवार मध्य प्रदेश के रतलाम-इंदौर मालवा प्रांत से तालुख रखता है, जिसका संक्षिप्त वृतांत निम्नलिखित दिया गया है।
मेवाड़ के जमाई : राजस्थान के मेवाड़ प्रांत के उदयपुर शहर में बारोट परिवार के तीनों दिग्गज कलाकार बेटों की शादी, एक बहुत दिग्गज ब्यावट कलाकार परिवार में हुई, जिसे संयोग ही कहा जायेगा... ब्यावट परिवार उदयपूर, राजस्थान एवं संपूर्ण भारतवर्ष के बहुत ही गुणी ज्ञानी कलाकारों में शुमार होता है... जिसमें पं. मथुरा प्रसाद ब्यावट, पं. बद्री प्रसाद ब्यावट, पं. जगन्नाथ प्रसाद ब्यावट, पं. रामनारायण ब्यावट, पं. चतुरलाल ब्यावट हैं... यह ब्यावट परिवार कला क्षेत्र के (गायन, वादन एवं नृत्य) तीनों विधाओं में पारंगत था और है... और इसी गुणी ज्ञानी दिग्गज कलाकारों के परिवार में बारोट परिवार के एक खुबसुरत होनहार पंचमुखी प्रतिभा के धनी पं. भानुप्रकाश बारोटजी का ब्याह पं. जगन्नाथ प्रसाद ब्यावटजी की सुपुत्री विजयलक्ष्मीजी ("रीता रानी" - शादी के बाद का नाम) से हुआ था।मुंबई महाराष्ट्र कर्मप्रधान : चूंकि, पंडित भानुप्रकाश बारोटजी मुंबई में जन्में, पले, बढे़, तो यहीं के निवासी होकर रह गए... यहीं आपने अपने हुनर का अपनी कला के माध्यम से शानदार प्रदर्शन किया और श्रोताओं का दिल जीता और मंत्रमुग्ध किया... जिस वजह से आपको कई एवाॅर्डस् से सुशोभित किया गया... जिसमें आपको सुपर डुपर, मेगा स्टार, सदी के महानायक, पद्मविभूषण, श्रीमान अमिताभ बच्चनजी के एक कल्याण ज्वेलरी विजापन के शूटिंग के दौरान "स्टार सेलेब्रेटी तबला वादक" की उपाधि से नवाजा गया था, जिसमें साऊथ के बड़े बड़े दिग्गज अभिनेता भी मौजूद थे... टीवी चैनल पर अथवा सिनेमा थियेटरों में अथवा गूगल पर यह विज्ञापन देख सकते हैं।
भारतवर्ष में, आपको कई मौकों पर, कई छोटे बड़े संगीत के आयोजनों में, संगीत प्रतियोगिताओं में "चीफ-गेस्ट" और "मुख्य-जज" की भूमिका अदा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है...*मुलतः पंडित भानुप्रकाश बारोटजी का परिवार मध्य प्रदेश के रतलाम-इंदौर के मालवा प्रांत से तालुख रखता है... आपके परम पुज्यनीय दादाजी पं. दौलतरामजी ("रोड़जी उस्ताद" के नाम से बहुत प्रसिद्ध थे) बीते जमाने के ख्यातिप्राप्त सुप्रसिद्ध सारंगी वादक थे जो, रतलाम रियासत (महाराजा सज्जन सिंहजी) के प्रमुख दरबारी संगीतज्ञ एवं ज्ञाता थे और अपने क्षेत्र के बहुत ही सम्माननीय सख्सियतों में जाने जाते थे, जिन्हें उस जमाने के एक बहुत ही प्रसिद्ध गायक कलाकार पं. नारायणराव व्यासजी (विख्यात शास्त्रीय गायक) ने बंबई आने का न्यौता दिया था यह कहकर कि, "उस्तादजी आप मध्य प्रदेश से बाहर महाराष्ट्र के बंबई शहर में आइये... आप जैसे गुणी ज्ञानी कलाकार का इस छोटे से शहर में क्या काम... आपका स्थान तो महानगर जैसे बड़े शहर में होना चाहिए... मैं आपके रहने खाने पीने का पुरा बंदोबस्त करूंगा... आपकी जगह यहाँ नहीं, बंबई जैसे महानगर में है"... किंतु उस्तादजी तो उस्तादजी थे... बहुत मुड़ी कलाकार और व्यक्तित्व थे... वे बंबई जाने के लिए रवाना तो हो गये, लेकिन बडौदा (वडो़दरा, गुजरात) से वापस अपनी मिट्टी के प्रेम, प्यार लगाव की तरफ लौट गए... और अपने अंतकाल तक, बड़े सादगी से, बिना किसी लोभ लालच स्वार्थ के, अपने संगीत के जरिए अपनी सेवाएं पूरे मालवा इलाके को देते रहे।तत्पश्चात उस्तादजी के सबसे होनहार गुणी ज्ञानी दिग्गज बड़े बेटे पं. मोहनलाल बारोटजी (जो लगभग कई साजों का ज्ञान रखते थे जैसे; सारंगी, बाँसुरी, सितार, हारमोनियम, क्लारियोनेट, ट्रंपिट, आदि) ने बंबई जाने का फैसला किया अपने छोटे भाई पं. रतनलाल बारोटजी के संग (जोकि, तबला साज के सुप्रसिद्ध एवं जानीमानी ज्ञानी सख्सियत थे)... मालवा क्षेत्र के इन दोनों दिग्गज महारथी कलाकारों ने बंबई आने के बाद शुरूआती दौर में संघर्षपुर्ण जीवन जीते हुए अपनी कला के जरिए बहुत जल्दी वह मुकाम हासिल कर लिया जिसके लिए लोग सपने देखते थे... फिर तो क्या था, बंबई के संगीत जगत के काफी नामीगिरामी हस्तियों से मिलना जुलना, खान पान, हंसी मजाक के साथ जीवन बिताया... दोनों गुणी ज्ञानी दिग्गज कलाकार भाई, सादगी से भरपूर मिलनसार खुबसुरत व्यक्तिव के धनी थे... दोनों भाइयों का बंबई आना सफल हुआ...।
इसी दरम्यान पं. मोहनलालजी बारोट के एवं बारोट परिवार के सबसे होनहार, गुणी ज्ञानी, दिग्गज बड़े सुपुत्र पं. प्रदीप कुमार बारोट ने अपने सरोद वादन के जरीये अपना एक अलग मुकाम हासिल किया और अभी भी निरंतरता से सफर जारी है जोकि, बड़े गर्व की बात है पूरे बारोट परिवार के लिए... आपकी जितनी तारीक की जाए उतनी कम है... साथ ही, पं. रतनलालजी बारोट के दोनों होनहार दिग्गज सुपुत्र पं. केशव कुमार बारोट (सितार एवं संतूर वादक, रिटायर्ड़ आकाशवाणी कलाकार, कर्नाटका) जिन्हें "संतूर जैसे साज" को पूरे कर्नाटका राज्य में प्रसिद्ध करने का श्रेय जाता है एवं दूसरे सबसे छोटे बेटे भानुप्रकाश बारोट (तबला वादक) अपने क्षेत्र में बहुत बेहतरीन मुकाम हासिल कर चुके हैं और अभी भी सफर जारी है...।एक खास बात यह कि, बारोट खानदान की अगली पीढ़ी (नेक्स्ट टू नेक्स्ट जेनरेशन) भी कुछ कम नजर नहीं आती है... कुछ हद तक यह नई पीढ़ी संगीत को आगे बढ़ाने में अग्रसर है... जिसमें; श्री. राजदीप बारोट (सरोद वादन में मुंबई आकाशवाणी से गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं, साथ ही चीफ हेड़ HR में कार्यरत हैं), श्री. जयदेव बारोट (जैंबे, तुंबा, क्लॅप बाॅक्स, पर्कशनिस्ट, साथ ही इंटरनेशनल कंपनी के मेनेजर हैं), श्री. हर्ष बारोट (म्यूजिकल इवेंट मैनेजमेंट), पोता मास्टर. कृषय बारोट (पढ़ाई के साथ सरोद वादन में शिक्षण जारी है)।