पत्र संपादक के नाम• *नीमच में विकास के नाम पर नगर पालिका में हो क्या रहा है खेला*?

पत्र संपादक के नाम• *नीमच में विकास के नाम पर नगर पालिका में हो क्या रहा है खेला*?

 


नीमच।नीमच शहर की बड़ी नगर पालिका है लेकिन घोटाले की खदान है हर दिन समाचार पत्रों में इसके भ्रष्टाचार के नए-नए तरीकों को पढ़ने को मिलता है कोई भी निर्माण तरीके से पूरा नहीं होता उससे पूर्व ही खराब होने लग जाता है अमृत पार्क हो या फिर जवाहर नगर की सड़क नाली निर्माण हो या रेलवे की पुलिया बिना सोचे समझे बिना इंजीनियर की रिपोर्ट दिए काम चालू हो जाता है शिक्षक कॉलोनी की सड़क ले लो या फिर कोई भी काम नगर पालिका का कचरा भर कुए को ढक दिया जाता है उसे पर जाली लगा दी जाती है सफाई नहीं की जाती है शहर के चारों ओर बने नालों में जलकुंभी भी नहीं हटवाई जा  रही है वास्तव में सोचनीय प्रश्न है क्या जवाबदार लोग इतने लाह परवाह हो गए हैं कि केवल बिल बनाकर कमीशन लेने तक ही उनके साथ रहता है जवाब दार से पत्रकार पूछते हैं तो उन्हें संज्ञान नहीं होता बाद में कोई जवाब नहीं होता मतलब का खेल हो तो सारे पार्षद एक साथ आ जाते हैं मलाई खाने की बारी आती है तो सारे नियम तक पर रख दिए जाते हैं बहुमत का खेल है विपक्ष लाचार है उसकी सुनी नहीं जा रही यह आरोप लगाया जा रहा है कि वह विकास में साथ नहीं देते जबकि गलत विकास का विरोध करते हैं बाकी सारे ज्ञानवान और समझदार लोग मौन धरे इस खेल को देख रहे हैं उसे होना क्या है क्या प्रशासनिक अमला भी सत्ता के वीरों के साथ कदमताल कर रहे हैं राम ही जाने मेरे नीमच का क्या होगा जब बागड़ ही खेत को खाने लगे तो उसे चमन का क्या हाल होगा जब खरबूजा कटता है तो सब में बटता है गजब की विडंबना है मेरा समझदार शहर सब देख रहा है समय अपनी गति से चल रहा है भ्रष्टाचार सीमा लांग रहा है ऐसे में अब न्यायपालिका स्वात संज्ञान ले और सड़कों पर घूमते आवारा कुत्तों से मवेशियों से जनता की सुरक्षा करें क्योंकि नगर पालिका अपने कर्तव्य को भूल रही है केवल अधिकारों का ज्ञान रख अपना स्वार्थ सिद्ध कर रही है पेयजल पर करोड़ों रुपया खर्च करने के बाद भी नीमच प्यासा है शिवरेज लाइन डालने के बाद भी नगर गंदगी से भरपूर है कई बड़े नाले वर्षों बाद सफाई होती है तो नगर पालिका अपनी पीठ थपथपा लेती है यह नहीं देखी की यह साफ क्यों नहीं हुए क्या इन्हें साफ करने के लिए भी याद दिलाना पड़ेगी इस तरह के अनगिनत प्रश्नों से आम आदमी जूझता रहता है समाचार पत्र अपना कर्तव्य पूर्ण कर रहे हैं प्रतिदिन समाचार लगा रहे हैं लेकिन उनकी भी सुनने वाला मुझे तो इस शहर में कोई नहीं दिख रहा है क्या हर समस्या का समाधान आंदोलन के माध्यम से ही होगा या फिर जवाबदार लोग ईमानदारी से अपना कार्य करेंगे इन सब चीजों को सोच समझ कर भी लिखना शायद  बेमानी होगी हर व्यक्ति अपनी दिनचर्या में लगा हुआ है उसे इतना टाइम भी नहीं है कि वह इन बातों पर ध्यान दें लेकिन जो जवाबदार संस्थाएं हैं शायद वह भी इन्हें याद दिला कर थक गई है राम ही जाने कब राम राज्य आएगा आमजन कब सुखी होगा यह अर्थ हीनकल्पना है चुनावी वादे और चुनावी नारे केवल चुनाव तक ही अच्छे लगते हैं बाद में संकल्प पत्र रद्दी में बिक जाते हैं जनप्रतिनिधियों को ऐसे विकास कार्यों की सोशल ऑडिट करवाना चाहिए जहां निर्माण हो उसकी पूरी डिटेल बोर्ड पर लगाई जाए कि इस निर्माण में क्या-क्या लगेगा और जनता इसका सोशल ऑडिट करें तो निर्माण व्यवस्थित हो सकता है एक प्रयास है आओ मिलकर अलख जगाये कुछ सुधार हो जाए ऐसा विचार बनाएं▪️ *कमल मित्तल नीमच*