27 मुनिराज महासंघ आगमन में उमडा आस्था का जन सेलाब,
नीमच । सभी प्राणियों के प्रति जीव दया बिना आत्मा का कल्याण नहीं होता है। झूठा भोजन करना मैत्री भाव नहीं होता है ।किसी प्राणी को अपने से दुख उत्पन्न नहीं हो यही सच्चा मैत्री भाव होता है। एकासना उपवास माश्रमण की तपस्या करना कठिन नहीं है ।आठ लोगों से मैत्री करना कठिन है। मनुष्य चाहे कितने ही ऊंचे पद पर चला जाए लेकिन अपने धरातल को नहीं भूलना चाहिए वही सच्चा मनुष्य होता है। यह बात आचार्य 108 श्री विशुद्ध सागर जी महाराज ने कही। वे 15 फरवरी गुरुवार 11बजे वीर पार्क रोड स्थित महेश्वरी भवन में आयोजितअमृत प्रवचन धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि सभी प्राणियों के प्रति मैत्री भाव होगा तभी धर्म के पांच नियम का पालन करना सार्थक सिद्ध हो सकता है।गुरु के पास व भगवान के मंदिर में बैठकर भक्ति साधना करना सरल है। परिवार के साथ शांति के साथ बैठना असंभव है।
सामयिक करते समय एकाग्रता रहनी चाहिए सामायिक करना सरल नहीं है। सामायिक करने से हम विभिन्न उपद्रव से बच जाते हैं।आत्मा और मन को एक कर लेना प्रभावों से विरक्त होना ही ध्यान होता है।लोग अपने परिवार में भी एक साथ नहीं रह सकते हैं और मंच से कहते हैं पूरा विश्व मेरा परिवार है चिंतन का विषय है।
आचार्य श्री के जुलूस में उमड़े श्रद्धालू:आचार्य 108 विरागसागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य, चर्या शिरोमणी, रत्नत्रय के धारी, परम श्रद्धेय आचार्य 108 श्री विशुद्ध सागरजी महाराज रावतभाटा से नीमच की और विहार कर कुल 28 मुनियों के नीमच की पावन धरा को सुपावन करने गुरुदेव विशुद्ध सागर जी संघ 15 फरवरी को प्रातः लगभग 9 बजे नीमच प्रवेश मैसी फर्ग्यूसन शोरूम चौराहे से
किया। मीडिया प्रभारी अमन विनायका ने बताया कि महाराज श्रीसंघ मैसी फर्गुसन से फव्वारा चौक टैगोर मार्ग होते हुए 40 विद्युत केंद्र के पीछे दिगंबर जैन मंदिर परिसर में दर्शन के लिए पहुंचे वहां से संघ माहेश्वरी भवन पहुंचा। आचार्य श्री के पैदल जुलूस में सबसे आगे जिन शासन की ध्वजा लिए दो युवक चलायमान थे।इसके साथ ही दो युवक स्वर्ण छतरी लिए भी चल रहे थे। बैंड बाजे पर जयकारा गुरुदेव का जय जय गुरुदेव... गुरुजी पधारिया है म्हारा आंगनिया सहित विभिन्न भजन कीर्तन की स्वर लहरियां बिखर रही थी।मार्ग में स्थान स्थान पर जैन समाज जनों द्वारा अक्षत गहुली स्वास्तिक बनाकर महाराज श्री से आशीर्वाद ग्रहण किया गया। महेश्वरी भवन के प्रवेश द्वार पर रंगोली बनाकर स्वागत किया गया।महेश्वरी भवन में कार्यक्रम का शुभारंभ , दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष विजय विनायका (जैन ब्रोकर्स) , उपाध्यक्ष जय कुमार जी बज एवं न्यायधीश कुलदीप जी जैन परिवार द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया। आचार्य श्री ने धर्म सभा का शुभारंभ नवकार मंत्र मंगलाचरण से किया।धर्म सभा में न्यायाधीश कुलदीप जैन, मनोहर सिंह लोढ़ा, वरिष्ठ भाजपा नेता संतोष चोपड़ा,वरिष्ठ कांग्रेस नेता उमराव सिंह गुर्जर, सुरेंद्र सेठी,
राकेश पप्पू जैन, प्रेस क्लब अध्यक्ष श्याम गुर्जर, आदित्य मालू, महेंद्र चौधरी ,जैन श्वेतांबर भीडभंजन पार्श्वनाथ मंदिर मंडल ट्रस्ट अध्यक्ष अनिल नागोरी सचिव मनीष कोठारी, अग्रवाल समाज के सचिव पुरुषोत्तम गर्ग, दिगंबर जैन सोशल ग्रुप अध्यक्ष नवीन विनायका,महिला मंडल अध्यक्ष चमेली शाह,जिनागम अध्यक्ष सुनील बाकलीवाल,विनीत पाटनी, नगर पालिका अध्यक्ष स्वाती गौरव चोपड़ा, आदि समाज जन उपस्थित थे।धर्म सभा में भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, मनासा, जावद, काकरिया तलाई, रतनगढ़ ,झांतला, मल्हारगढ़, मंदसौर, जावरा आदि क्षेत्र के समाज जन भी उपस्थित थे। इस अवसर पर दिगंबर जैन समाज नीमच के अध्यक्ष विजय विनायका (जैन ब्रोकर्स) , कार्यकारिणी एवं सभी समाज जनों ने आचार्य श्री से नीमच में चातुर्मास स्वीकृति के लिए सामूहिक विनती की। धर्म सभा में पद प्रक्षालन के धार्मिक चढ़ावे की बोली विजय कुमार विशाल अतुल विनायका (जैन ब्रोकर्स परिवार) तथा शास्त्र भेंट करने की बोली पुष्प कुमार जी नूतन जी पारुल शाह परिवार ने ली।
आचार्य श्री के सानिध्य में संत मुनी गण ने अपनी अमृत देशना प्रवचन के माध्यम से प्रदान की। अनुत्तर सागर जी महाराज भी रावतभाटा की ओर से विहार कर रहे हैं वे निराहार निर्जल उपवास करते हुए चल रहे हैं। 96 किलोमीटर की दूरी तय कर चुके हैं।दिगंबर जैन समाज के पूर्व अध्यक्ष जम्बु कुमार जैन ने गुरुवर तुमसा दानी क्या कोई हो दिन रात लुटाया करते हो एवं मंगलाचरण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन अजय कासलीवाल ने किया तथा समाज अध्यक्ष विजय विनायका (जैन ब्रोकर्स) ने आभार व्यक्त किया और कहा कि सिर्फ एक दिन के अल्प प्रवास में आचार्य श्री के दर्शन और दिव्य देशना का पुण्य धर्म लाभ मिला ।
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90 हजार किमी. पैदल चल चुके हैं आचार्य श्री :आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज देश के विभिन्न राज्यों में 90हजार किलोमीटर की पैदल यात्रा कर चुके हैं,1991 में आचार्य श्री की पुण्य दीक्षा हुई थी ,2007 में आचार्य पद ग्रहण किया था ,150 पंचकल्याणक प्रतिष्ठा करवा चुके हैं ,47 मुनि को दीक्षा प्रदान कर चुके हैं, 200 साहित्य व 36 शास्त्र लिख चुके हैं।धर्मसभा के मध्य अचानक जब 3 वर्षीय दयाक्षी जैन संवि जैन और 4 वर्षीय बालक देव विनायका सहित तीन-चार बच्चों ने आचार्य श्री के समक्ष पहुंच कर श्रीफल चढ़ाया और आशीर्वाद ग्रहण किया। बालक देव विनायका ने तो नवकार मंत्र भी श्रवण कराया।
विहार में सेवा दी युवाओं ने,आचार्य श्री के पैदल विहार में नेवड़ ग्राम से लेकर नीमच शहर तक संत विहार सेवा से जुड़े 25 से अधिक युवकों ने एक ही परिधानों में संत के साथ सेवाएं प्रदान की।