रूमेटिक बुखार खराब कर रहा हृदय के वाल्व

रूमेटिक बुखार खराब कर रहा हृदय के वाल्व

 रूमेटिक बुखार खराब कर रहा हृदय के वाल्व


 रुमेटिक बुखार के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। यह शिकायत युवाओं में अधिक देखी जा रही है। इस बीमारी में ह्दय का वाल्व खराब हो जाता है । वाल्व ह्दय में आने वाले खून को वापस जाने से रोकता। वाल्व यह भी सुनश्चित करता है कि खून उचित समय और दिशा में उचित बल के साथ पहुंच रहा या नहीं। रुमेटिक बुखार की शिकायत लेकर आ रहे युवाओं के वाल्व में सिकुड़न या लीकेज की समस्या भी देखी जा रही है। जिनकी परेशानी जल्दी पकड़ में आ जाती है उन्हें तो दवा से उपचार दिया जाता है लेकिन जिन युवाओं की परेशानी देर से पता चलती है उन्हें सर्जरी की आवश्यकता होती है।प्रतिदिन इस तरह की शिकायत लेकर दर्जन भर मरीज कार्डियोलोजी पहुंच रहे हैं।  घनी बस्ती में रहने वाले 5 से 10 साल की उम्र के बच्चों में बुखार, जोड़ों में दर्द, शरीर पर लाल चकत्ते, गठानें पड़ना आदि की शिकायत देखी जाती है। असल में इस तरह की शिकायत स्ट्रेप्टोकोकस वैक्टीरिया के कारण आती हैं। बुखार के दौरान बच्चे को सर्दी, खांसी, जुकाम की शिकायत भी रहती है।   इसलिए यदि बार-बार बच्चे को सर्दी, खांसी व जुकाम है तो हल्के में न लें। इसकी ठीक से जांच कराएं और उपचार लें। अन्यथा स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया शरीर में एक ऐसी रोग प्रतिरोधक क्षमता तैयार करता है जो शरीर के अंग को प्रभावित करने लगती है। इसका असर ह्दय के माइट्रल वाल्व पर पड़ता है जिसमें सिकुड़न और लीकेज होता है। जिससे मरीज की सांस फूलना, धड़कन बढ़ना, पैरों में सूजन आने की शिकायत बढ़ जाती है।
क्या होता रुमेटिक हार्ट डिजीज-
रुमेटिक बुखार की शिकायत लेकर पहुंच रहे युवाओं के वाल्व सिकुड़न देखी जाती है। यदि वाल्व में सिकुड़न होती है तो वाल्व के अंदर माइट्रल स्टीनोसिस गुव्वारा वाल्व में डालकर उसे फुला दिया जाता है। जिससे उसकी सिकुड़न दूर हो जाती है यदि वाल्व में लीकेज अधिक होता है तो वाल्व बदलना भी पड़ता है। डा अभिषेक शर्मा का कहना है कि यदि बचपन में ही स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया का जांच में पता चल जाता है तो उसका उपचार समय रहते कर लिया जाता है। रुमेटिक बुखार नुकसानदायक है इसकी चपेट में आने वाले बच्चों के वाल्व का उपाचार से सुधार किया जा सकता है, लेकिन बीच में दवा बंद करने पर ह्दय संबंधी कई समस्याएं खड़ी हो सकती है और रुमेटिक हार्ट डिजीज के शिकार बन जाते हैं।
यह हैं लक्षण-
बुखार के साथ गले में लगातार खराश, सांस फूलना, त्वचा पर लाल चकत्ते, छाती में दर्द, हाथों पैरों में झनझनाहट, दर्द और कंधे में झटका लगना, दिल की धड़कन तेज होना, बुखार के साथ लंबे समय तक जुकाम बना रहना आदि इस बीमारी के लक्षण हैं।