जालंधर की स्वर्ण पदक विजेता शतरंज खिलाड़ी 8 बार नेशनल चैंपियन रह चुकी
जालंधर।जालंधर के ग्रीन एवेन्यू में रहने वाली मल्लिका हांडा सुन व बोल नहीं सकती। इसके बावजूद जब उसकी अंगुलियां शह और मात के खेल चेस बोर्ड पर चलती हैं तो हाथी, घोड़े, प्यादे और राजा व रानी सिर्फ उसी की सुनते हैं। 2010 में उसने चेस खेलने की शुरुआत की। शुरुआत में वह चचेरे भाई व पिता के साथ खेलती थी। परिवार ने देखा कि चेस में उसे महारत है, इसलिए उसकी प्रैक्टिस पर पूरा ध्यान देने लगे। जिसके बाद उसने चेस में कई उपलब्धियां हासिल की। मल्लिका हांडा की मां रेनू हांडा ने कहा कि 8 बार की नेशनल चेंपियन होने के बावजूद सरकार से कोई प्रोत्साहन नहीं मिला।
राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत चुकी शतरंज खिलाड़ी मल्लिका हांडा ने जालंधर का नाम एक बार फिर रोशन कर दिया है। 31 जुलाई को गुजरात में सम्पन्न हुई 23वीं नेशनल चेस चैंपियनशिप आफ डेफ में स्वर्ण पदक जीत लिया है। मल्लिका हांडा सितंबर में पौलेंड में होने वाली वर्ल्ड टीम चेस का प्रतिनिधित्व करेगी। मल्लिका हांडा चेस चैंपियनशिप में कई पदक अपने नाम कर चुकी है।