योग विश्व को भारत के द्वारा दी गई अनुपम सौगात है: प्रो . संजय जोशी

योग विश्व को भारत के द्वारा दी गई अनुपम सौगात है: प्रो . संजय जोशी

 


नीमच। स्वामी विवेकानंद शासकीय स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय नीमच द्वारा *फिटनेस ,स्वस्थ जीवन और खुशहाली के लिए योग* विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया।  इस राष्ट्रीय कार्यक्रम के बारे में  विस्तृत जानकारी देते हुए कार्यक्रम संयोजक  प्रोफेसर डॉ. संजय जोशी ने बताया कि कार्यक्रम के प्रारंभ में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.के. एल. जाट ने स्वागत उद्बोधन देते हुए  मुख्य अतिथि एवं प्रमुख वक्ताओं का स्वागत किया व योग के महत्ता को प्रतिपादित करते हुए इसे समयानुकूल बताया।आपने वेबिनार सचिव द्वारा इस कार्यक्रम के विषय को उचित, उपयोगी एवं सर्वहितेषी  के रूप में निरूपित किया । कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए प्रो. महेश शुक्ला ने कहा कि योग हमारे पतंजलि , गोरखनाथ, पाणिनी एवं याज्ञवल्क्य जैसे अनेक ऋषियों के द्वारा निसर्ग को देखते हुए उनके महत्वपूर्ण अनुसंधान का परिणाम है , जिसका उपयोग कर वर्तमान पीढ़ी लाभान्वित हो सकती है। योग विज्ञान कलाजी  वैदिक विश्वविद्यालय निंबाहेड़ा के प्रोफेसर तथा योग विज्ञान विभाग के  अध्यक्ष डॉ. लोकेंद्र चौधरी ने कहा कि छोटी-छोटी बातों को अपना कर जिसमें आहार  विहार ,योग , आसन , सूक्ष्म व्यायाम ,प्राणायाम को प्रतिदिन जीवन में अगर व्यक्ति अपनाए तो वह  निरोगी रहते हुए लंबी आयुष प्राप्त कर  सकता है। इसी क्रम में भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय उदयपुर के विषय विशेषज्ञ प्रोफेसर परेश द्विवेदी ने कहा कि योग कोई व्यायाम नहीं है योग कोई जिम नहीं है योग  अपने को ईश्वर से मिलाने का एकाकार करने  की एक प्रक्रिया है जिससे व्यक्ति अपने विराट स्वरूप का दर्शन कर सकता। है और योग की अंतिम अवस्था में यह नियम आसन प्राणायाम धारणा ध्यान समाधि के माध्यम से आत्म साक्षात्कार करते हुए केवल्य की स्थिति प्राप्त कर सकता है । प्रतिदिन प्रति व्यक्ति केवल 15 मिनट लंबे और गहरे श्वांस , अनुलोम विलोम और हाथ पैर और कंधे से संबधित सूक्ष्म अभ्यास करे तो यह योग का राष्ट्रीय वेबिनार कार्यक्रम  सार्थक हो जाएगा। 

        प्रोफेसर संजय जोशी ने कहा कि योग भारत की प्राचीनतम  विधा और विज्ञान है। यह हमारे ऋषियों  के द्वारा दिया गया ऐसा अनुपम उपहार है  जो निरापद, निःशुल्क , सहज ,सरल और सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय है। यह आपको आत्मनिर्भर बनाकर डॉक्टर और अस्टतालों की गुलामी और बंधन से मुक्त कराता है। इसे किसी भी धर्म के ,जाति के, आयु के, पुरुष, महिला ,वृद्ध ,युवा और बच्चे कर सकते हैं। आज के दौड़ भाग आपा धापी के जीवन मे तनाव मुक्त रहने के लिए योग सभी के लिए आवश्यक व प्रासंगिक हो गया है।

वेबिनार के उदघाटन सत्र में डाॅ.प्रशांत मिश्रा, प्रो. प्रभावती भावसार, प्रो.पी.डी. ज्ञानानी प्रो.आर. सी .जैन, डॉ. राजेन्द्र गुजेटिया , डॉ. सी.पी.पंवार , डॉ.जे.सी.आर्य, डॉ.तरुण जोशी ,डॉ.आइरिस रामनानी प्रो.राजेन्द्र सिंह सोलंकी, राकेश कस्वा, कमलेश पाटीदार  इत्यादि उपस्थित थे। वेबिनार में 142 प्रतिभागियों ने सहभागिता की। कार्यक्रम के अंत में आभार सहायक आयोजन सचिव प्रो. गिरिराज शर्मा ने व्यक्त किया।