नीमच (निप्र)। दिल से जुडी तमाम बीमारियों के लिए अब तक सबसे ज्यादा असरदार इलाज बाईपास सर्जरी को माना जाता आ रहा हैं। पल्स रुकने से लेकर आर्टरीज के ब्लॉक होने तक लगभग सभी बीमारियों के लिए मरीज ओपन हार्ट सर्जरी काराने के लिए मजबूर होता है। भारत में हर साल करीब ६० हजार से अधिक बाईपास सर्जरी की जाती हैं। इसमें न सिर्फ बड़ा खर्चा होता है ब्लकि सावधानी न बरतने पर ब्लॉकिंग और भी बढ़ जाती है और दोबारा सर्जरी करानी पढ़ती है।
एक नई तकनीक की होल बायपास सर्जरी दिल के मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है। की होल सर्जरी कम दर्द में होने के साथ ही मरीज को जल्द अस्पताल से डिस्चार्ज करा जाता है। ऑपरेशन के बाद क्रिटिकल समस्या भी नहीं रहती। इस सर्जरी में खर्च भी सामान्य सर्जरी की तुलना में काफी कम आता है। यह बात देश के ख्यातनाम कार्डियक सर्जन डॉ. राजेंद्र वसैया (अहमदाबाद ) ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहें। वे रविवार को लायन डेन में लायंस क्लब के शपथ विधि कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रुप में शामिल हुए।
पत्रकार वार्ता के दौरान कार्डियक सर्जन डॉ. वसैया ने कहा- की- होल बायपास सर्जनी में सीने के बीच वाली हड्डी काटने में नहीं आती है। जबकि सामान्य बायपास सर्जरी वक्त सीने के बीच १४ से १८ इंच लंबा चीरा लगाया जाता है और बीचवाली हड्डी को करवत से प्रâेक्चर करने तमें आता है। जब की होल बायपास सर्जन के वक्त २.५ से ४ इंच का चीरा ब्रेस्ट फोल्ड के नीचे करने में आता है और कोई भी हड्डी चीराने में आती नहीं है ऐसे करने से आपरेशन के बाद मरीज को काफी कम पीड़ा होती है।इस तकनीक की मदद से बिना बाईपास सर्जरी के हृदय संबंधी बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। इसको ब्लाक हुई ब्लड वैसील्स को बाईपास करने के लिए अब तक की बेस्ट तकनीक माना गया है। दुनिया भर में की होल बायपास सर्जरी कुछ चुनिंदा केंद्रों में ही होती है जिनमें अहमदाबाद, बैंगलोर, दिल्ली, बेंगलुरु, मद्रास और पुणे जैसे अस्पताल शामिल है। पत्रकार वार्ता के दौरान मंच पर मुख्य वक्ता कार्डियक सर्जन डॉ. राजेंद वसैया, लायंस क्लब अध्यक्ष सुनील शर्मा, डॉ. अशोक जैन, डॉ. रमेश दक, डॉ. राजेंद्र ऐरन मंचासीन थे। कार्यक्रम का संचालन बाबूलाल गौड़ ने किया।
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