घर घर तिरंगा अभियान जोर शोर से जारी है...होना भी चाहिए
नीमच (मंजू राठौड़) यह तिरंगा हमारी शान है, बलिदानो की एक लम्बी फ़ेहरिस्त शामिल है इसकी लालिमा बढाने मे अहम योगदान रहा है। छत्तीसगढ़ से आन्ध्रप्रदेश की यात्रा करते हुये देखा कदम कदम पर हमारा तिरंगा शान से लहरा रहा है ।जिनके पास छत नही, तन ढकने को कपडे़ नही, खाने को पर्याप्त भोजन नही, उनके हाथो मे भी तिरंगा अपनी विजयगाथा गा रहा है।।सभी अपनी तस्वीरे तिरंगे के साथ सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे है।। जहां एक आम व्यक्ति शायद आम भी न हो ,जिसके पास कुछ भी नहीं, अपनी पहचान भी नहीं । कई व्यक्तियो का नाम राशन कार्ड पर भी अंकित नही, कईयो के पास आधार कार्ड भी नहीं । सरकार द्वारा दी हुई मूलभुत सुविधायें तक इनके पास पहुँच नही पाती। हमारे सैनिक छत्तीसगढ़ के घने जंगलो के भीतर तक जाकर 'जहॉ न साफ पानी है ना जीवन को सुगम बनाने का कोई साधन' तिरंगा अभियान को पुर्णतया सफल बनाने में लगे हैं । आजादी का जश्न मनाने में पुरा देश मग्न है।
कुछ बाते सोचने पर मजबूर कर देती है कि क्या हम सच मे आजाद हो चुके है। देश की बाहरी सीमाये तो हमारे जवान प्रहरी बनकर सुरक्षित किए हुए है, लेकिन देश की आंतरिक सुरक्षा अभी भी खतरे मे है । कही हत्या, लूट,बाल श्रम, मानव तस्करी,कई अपराध देश मे पॉव पसारे है।।बलात्कार,दंगे,जात पात, ऊच नीच, बाल अपराध, निम्न वर्ग का शोषण,आर्थिक व सामाजिक असमानताये, वर्ण भेद, नक्सलवाद, आतंकवाद, समाज की संकुचित मानसिकता, अव्यवस्था,,कुप्रथाएं, रुढिवादिता,, अंधविश्वास,, और भी कई ऐसी सामाजिक बेडिया है जिनसे हर वर्ग को स्वतंत्र होना आवश्यक है आधुनिक भारत की सुन्दर तस्वीर हम सभी देख रहे है। मगर यह रंगीन तभी होगी, जब इसमे सामन्जस्य, सौहार्द,, समन्वय के रंग भरे हो।