भोपाल । प्रदेश में नीलगायों से निपटने के लिए दक्षिण अफ्रीका का जो दल मध्य प्रदेश में आया हुआ था वह अब लौट गया है। गर्मियों में नीलगायों को ट्रेंकुलाइज करके शिफ्ट करना संभव नहीं है, इसलिए अब गर्मी का मौसम जाने का इंतजार किया जाएगा। ग्वालियर के महाराजपुरा एयरफोर्स स्टेशन से लेकर मंदसौर-रतलाम सहित कई हिस्सों में नीलगायों के कारण बड़ी परेशानी होती है। ग्वालियर एयरबेस पर तो गंभीर खतरा है। इसी कारण बोमा तकनीक से इन नीलगायों से निपटा जाना है। ग्वालियर एयरबेस से नीलगायों को कूनो व गांधी सागर अभयारण्य में छोडऩे जाने की योजना है।बता दें कि प्रदेशभर में अलग अलग स्थानों पर सिविल क्षेत्र सहित सैन्य क्षेत्रों में नीलगायों की मौजूदगी से खतरे की स्थिति हो गई है। प्रदेश में नीलगायों को मारने की अनुमति नहीं है। ऐसे स्थानों पर नीलगायों से निपटने के लिए दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है। डीएफओ ग्वालियर अंकित पांडेय के अनुसार नीलगायों को बोमा तकनीक से पकड़ा जाएगा, जिसमें कृत्रिम जंगलनुमा रास्ता बनाकर एक बाड़े में पहुंचा दिया जाता है, यहां उन्हें ट्रेंकुलाइज किया जाएगा। ट्रेंकलाइज करने के बाद दो ढाई घंटे में उनकी शिफ्टिंग की जा सकती है लेकिन गर्मी को देखते हुए यह समय भारी पड़ सकता है। यही कारण है कि इस काम को गर्मी के मौसम तक टाला जा रहा है।