नीमच (निप्र)। समय बदला, विज्ञान ने तरक्की की लेकिन देश के कई हिस्सों में आज भी पुरानी परंपराएं कायम हैं और ना सिर्फ कायम हैं बल्कि लोगों की इन परंपराओं में पूरी आस्था भी है. ऐसे ही ग्रामीण अंचल में एक ऐसी परंपरा है, जिसमें पक्षी के अंडे देखकर अनुमान लगाया जाता है कि बारिश कब और कितनी होगी!वर्तमान समय में मौसम की जानकारी देने के लिए मौसम विभाग मौजूद है, जो आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर मौसम की सटीक जानकारी देता है लेकिन बुंदेलखंड और देश के अन्य हिस्सों के ग्रामीण अंचल में आज भी पारंपरिक तौर पर मौसम का पूर्वानुमान लगाया जाता है। गांवों में आज भी टिटहरी पक्षी के अंडे देखकर इस बात का अंदाजा लगाया जाता है कि इस साल बारिश कैसी होगी! ग्रामीण अंचल में पुरातन काल से यह परंपरा चली आ रही है और आज विज्ञान के युग में भी लोग इसमें पूरा विश्वास रखते हैं।
शहर सहित जिले में बारिश कितने महीने होगी, इसका अनुमान किसान और बुजुर्ग अलग-अलग तरह से लगाते हैं। इन्हीं में एक अनुमान टिटहरी के अंडों की संख्या के आधार पर भी लगाया जाता है। मान्यता हैं कि जितने अंडे टिटहरी देती है, उतने माह बारिश होती है। इस बार करजू गांव में टिटहरी ने 4 अंडे दिए है। क्षेत्र के कई इलाकों में ये अंडे देखे जा चुके हैं।किसान इसे आगामी मानसून में अच्छी बरसात का संकेत मान रहे हैं। किसानों का कहना है कि पीढ़ियों से ये मान्यता है कि टिटहरी के अंडे देने का अर्थ अच्छी बारिश का होना है। पिछले सालों की तुलना में इस बार टिटहरी अंडों सहित ज्यादा देखी जा रही है।ऐसे में पूरी संभावना है कि क्षेत्र में इस बार मानसून अच्छी तरह से मेहरबान रहेगा। टीले पर अंडे तो बारिश ज्यादा टिटहरी के अंडों के स्थान और उनकी संख्या के विश्लेषण के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया कि यदि टिटहरी ऊंचे स्थान पर अंडे देती है तो बारिश तेज होती है।यदि टिटहरी निचले स्थान पर अंडे देती है तो उस साल कम बारिश होती है। किसानों का अनुमान है और उनकी मान्यता है, विज्ञान में इसके लिए कोई जगह नहीं। हालांकि इस बार मानसून जल्द आएगा और अच्छी बारिश भी हो सकती है।